प्रदेश के 51 बरस के इतिहास में अब तक 11 भूकंप के झटके लग चुके हैं। 2003 में जींद के आसपास लगे जोरदार झटके के बाद इस प्राकृतिक आपदा से बचाव को लेकर गंभीरता से नीति निर्माण की ओर कदम बढ़ाने की सोची गई। सबसे ज्यादा झटके 90 के दशक में लगे। इस दशक में पांच दफा भूकंप आया, जबकि पिछले दशक में तीन बार भूकंप आया।
प्रदेश के भूकंप के इतिहास को उठाकर देखा जाए, तो पिछले दो दशक में भूकंप के झटके कुछ-कुछ साल के अंतर से महसूस किए जा रहे हैं। 27 अगस्त, 1960 को प्रदेश में आए भूकंप का केंद्र गुड़गांव और फरीदाबाद रहा था। इसके 20 जून 1966 को दिल्ली-गुड़गांव बार्डर भूकंप का केंद्र रहा। इसके प्रकृति 70 और 80 के दशक में शांत रही, लेकिन 90 के दशक में प्रकृति ने मिजाज खराब करते हुए चार भूकंप के झटके दिए। पहला झटका 21 अक्टूबर, 1991 को लगा। दूसरा झटका 9 अगस्त, 1993 को लगा। तीसरा भूकंप 12 नवंबर, 1996 को आया और चौथी बार भूकंप का झटका 4 मई, 1997 को महसूस हुआ। उसके बाद 30 मार्च, 1998 को भूकंप आया। यह दशक सबसे ज्यादा भूकंप के झटके देने के नाम रहा।
20वीं सदी की शुरुआत के पहले दशक में तीन दफा भूकंप आया। 28 अप्रैल, 2001 को इस दशक का पहला भूकंप आया। दिसंबर, 2003 में आए भूकंप का केंद्र जींद के आसपास का क्षेत्र रहा। इस भूकंप की तीव्रता खासी रहने पर प्रशासन ने भी इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करने की कोशिश शुरू कर दी। इसके बाद मई, 2006 में भूकंप आया और अब चार अप्रैल को भूकंप का हलका झटका महसूस किया गया।
दयाल सिंह कॉलेज के भूगोल विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापिका मनीषा के अनुसार भूकंप की तरंगों का रास्ता जींद की ओर से गुजरता है। इस वजह से प्रदेश में भूकंप का केंद्र जींद के आसपास के क्षेत्र को माना जाता है। उन्होंने पिछले दो दशक में भूकंप के झटके
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